Coco Loco boys are back - this time we feature in Outlook Business. Read about our wonderful journey.
Friday, December 16, 2011
Tuesday, November 29, 2011
Thursday, September 22, 2011
Saturday, July 30, 2011
ठंडा मतलब नारियल पानी
(28TH JULY 2011 - HINDUSTAN)
सविनय जैन, 27 वर्षीय और 25 वर्षीय मयंक सेठिया, चचेरे भाई हैं और कॉरपोरेट सेक्टर में काम कर रहे थे, जब उन्होंने पहली बार अपना काम शुरू करने का फैसला किया। मैकिंजे एंड कंपनी में फाइनेंशियल एनालिस्ट के तौर पर काम करने वाले सविनय जैन के अनुसार, ‘हालांकि हम दोनों के परिवारों की पृष्ठभूमि निजी व्यवसाय से जुड़ी है, इसलिए हममें भी अपना काम शुरू करने की लंबे समय से इच्छा मौजूद थी।
बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में बैचलर डिग्री रखने वाले सेठिया ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2007 में एक हेल्थ ड्रिंक निर्माता कंपनी याकुल्ट में काम करने से की। उसके बाद उन्होंने डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ आयात करने वाली कंपनी ट्वंटी फर्स्ट सेंचुरी में काम किया। दोनों ही कंपनियों से रिटेल मार्केट की प्रत्यक्ष जानकारी हासिल करने का मौका मिला।
बिजनेस का विचार: परिवार में एक बार किसी को नारियल पानी की जरूरत थी। गुड़गांव की सड़कों से लेकर शॉपिंग कॉम्लैक्स सब जगह पूछा, पर नारियल पानी नहीं मिला। तभी दोनों भाइयों को यह विचार आया, जिसके बाद उन्होंने अपनी नौकरियां छोड़ दीं और कोको लोको नाम से मॉल्स में मोबाइल, ठंडा नारियल पानी उपलब्ध कराने की सेवा शुरू कर दी।
शुरुआत : गूगल पर सर्च करने पर दोनों को ब्राजील के तटों पर नारियल पानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पोर्टेबल मशीन के बारे में पता चला। उन्होंने उस मशीन की तकनीक का अध्ययन किया और हरियाणा के मानेसर स्थित एक मशीन निर्माता से वैसी ही दो मशीनें बनवाईं।
सविनय जैन उत्साहपूर्वक कहते हैं, ‘इसमें मिलावट की कोई गुंजाइश नहीं होती।’
दोनों ने गुड़गांव स्थित मॉल में अपनी दोनों गाड़ियां ट्रायल के तौर पर खड़ी की। 200 मिलीग्राम के लिए 30 रुपये और 500 मिलीग्राम के लिए 60 रुपये कीमत रखी। रात 9 बजे तक उन्होंने 200 नारियल पानी के गिलास बेच दिए।
वित्त वर्ष के अंत तक उन्होंने छह मॉल्स में अपनी गाड़ियां खड़ी की, अपने खर्चों को तो पूरा किया ही, साथ में 20 प्रतिशत ऑपरेशनल मुनाफा भी कमाया। इसके साथ ही अब उनकी उदयपुर और मुरादाबाद, में फ्रैंनचाइजी भी हैं। लक्ष्य है कि उन सभी राज्यों में काम फैलाएं, जहां नारियल नहीं होता।
वास्तविकता से सामना : सविनय कहते हैं, ‘पहले हमने दिल्ली की फल व सब्जियों की थोक मंडी आजादपुर से नारियल खरीदना शुरू किया, पर यहां कीमत अधिक और गुणवत्ता कम थी। फिर हमने सीधे ही तटीय क्षेत्रों से गुड़गांव स्थित गोदाम में माल मंगवाया। यहां चुनौती थी कि माल ज्यादा मंगवाना पड़ता था। ऐसे में हमने अतिरिक्त माल स्थानीय नारियल पानी वालों को बेचना शुरू कर दिया।’
प्रारंभिक पूंजी: 4लाख रुपये
पूंजी का स्त्रोत: बचत और परिवार के सदस्यों से लोन
पहला कस्टमर: याद नहीं कि कौन उनका पहला ग्राहक था। पहले दिन शाम तीन बजे दोनों चचेरे भाइयों ने अपनी गाड़ी गुड़गांव स्थित एमजीएफ मेट्रोपोलिटन मॉल में खड़ी की थी और शाम नौ बजे तक वे 200 नारियल पानी के गिलास बेच चुके थे।
सबसे बड़ी चुनौती: सप्लाई चेन की स्थापना करना।
हमारा विचार -
नारियल पानी लोगों में पहले से पसंद किया जाता है, हम केवल उसे कोला और अन्य विकल्पों की जगह पेश कर रहे हैं।
हमारा लक्ष्य -
ऐसे ग्राहक हैं, जो अपनी सेहत के प्रति जागरुक हैं, इसके लिए हमें अप मार्केट जगहों पर अपने सेंटर बनाने होंगे, जिनका किराया अधिक है
सविनय जैन, 27 वर्षीय और 25 वर्षीय मयंक सेठिया, चचेरे भाई हैं और कॉरपोरेट सेक्टर में काम कर रहे थे, जब उन्होंने पहली बार अपना काम शुरू करने का फैसला किया। मैकिंजे एंड कंपनी में फाइनेंशियल एनालिस्ट के तौर पर काम करने वाले सविनय जैन के अनुसार, ‘हालांकि हम दोनों के परिवारों की पृष्ठभूमि निजी व्यवसाय से जुड़ी है, इसलिए हममें भी अपना काम शुरू करने की लंबे समय से इच्छा मौजूद थी।
बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में बैचलर डिग्री रखने वाले सेठिया ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2007 में एक हेल्थ ड्रिंक निर्माता कंपनी याकुल्ट में काम करने से की। उसके बाद उन्होंने डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ आयात करने वाली कंपनी ट्वंटी फर्स्ट सेंचुरी में काम किया। दोनों ही कंपनियों से रिटेल मार्केट की प्रत्यक्ष जानकारी हासिल करने का मौका मिला।
बिजनेस का विचार: परिवार में एक बार किसी को नारियल पानी की जरूरत थी। गुड़गांव की सड़कों से लेकर शॉपिंग कॉम्लैक्स सब जगह पूछा, पर नारियल पानी नहीं मिला। तभी दोनों भाइयों को यह विचार आया, जिसके बाद उन्होंने अपनी नौकरियां छोड़ दीं और कोको लोको नाम से मॉल्स में मोबाइल, ठंडा नारियल पानी उपलब्ध कराने की सेवा शुरू कर दी।
शुरुआत : गूगल पर सर्च करने पर दोनों को ब्राजील के तटों पर नारियल पानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पोर्टेबल मशीन के बारे में पता चला। उन्होंने उस मशीन की तकनीक का अध्ययन किया और हरियाणा के मानेसर स्थित एक मशीन निर्माता से वैसी ही दो मशीनें बनवाईं।
सविनय जैन उत्साहपूर्वक कहते हैं, ‘इसमें मिलावट की कोई गुंजाइश नहीं होती।’
दोनों ने गुड़गांव स्थित मॉल में अपनी दोनों गाड़ियां ट्रायल के तौर पर खड़ी की। 200 मिलीग्राम के लिए 30 रुपये और 500 मिलीग्राम के लिए 60 रुपये कीमत रखी। रात 9 बजे तक उन्होंने 200 नारियल पानी के गिलास बेच दिए।
वित्त वर्ष के अंत तक उन्होंने छह मॉल्स में अपनी गाड़ियां खड़ी की, अपने खर्चों को तो पूरा किया ही, साथ में 20 प्रतिशत ऑपरेशनल मुनाफा भी कमाया। इसके साथ ही अब उनकी उदयपुर और मुरादाबाद, में फ्रैंनचाइजी भी हैं। लक्ष्य है कि उन सभी राज्यों में काम फैलाएं, जहां नारियल नहीं होता।
वास्तविकता से सामना : सविनय कहते हैं, ‘पहले हमने दिल्ली की फल व सब्जियों की थोक मंडी आजादपुर से नारियल खरीदना शुरू किया, पर यहां कीमत अधिक और गुणवत्ता कम थी। फिर हमने सीधे ही तटीय क्षेत्रों से गुड़गांव स्थित गोदाम में माल मंगवाया। यहां चुनौती थी कि माल ज्यादा मंगवाना पड़ता था। ऐसे में हमने अतिरिक्त माल स्थानीय नारियल पानी वालों को बेचना शुरू कर दिया।’
प्रारंभिक पूंजी: 4लाख रुपये
पूंजी का स्त्रोत: बचत और परिवार के सदस्यों से लोन
पहला कस्टमर: याद नहीं कि कौन उनका पहला ग्राहक था। पहले दिन शाम तीन बजे दोनों चचेरे भाइयों ने अपनी गाड़ी गुड़गांव स्थित एमजीएफ मेट्रोपोलिटन मॉल में खड़ी की थी और शाम नौ बजे तक वे 200 नारियल पानी के गिलास बेच चुके थे।
सबसे बड़ी चुनौती: सप्लाई चेन की स्थापना करना।
हमारा विचार -
नारियल पानी लोगों में पहले से पसंद किया जाता है, हम केवल उसे कोला और अन्य विकल्पों की जगह पेश कर रहे हैं।
हमारा लक्ष्य -
ऐसे ग्राहक हैं, जो अपनी सेहत के प्रति जागरुक हैं, इसके लिए हमें अप मार्केट जगहों पर अपने सेंटर बनाने होंगे, जिनका किराया अधिक है
Saturday, July 16, 2011
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